निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, अगर देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनावों का आयोजन हर 15 साल में एक साथ किया जाए, तो इसके लिए हर बार 10 हजार करोड़ रुपये का नया ईवीएम खर्च आएगा। आयोग ने बताया कि ईवीएम का अच्छा नतीजा 15 वर्षों के बाद नहीं रहता है और इसे तीन चुनावों में ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
आयोग की अनुमाने के मुताबिक, इस साल लोकसभा चुनाव के लिए 11.80 लाख पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे, जिसमें हर पोलिंग बूथ पर दो सेट ईवीएम की जरूरत होगी – एक लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव के लिए।
आयोग ने इसके लिए कई नई मशीनों की आवश्यकता और लॉजिस्टिक्स को ध्यान में रखते हुए कहा है कि पहला एक साथ चुनाव संभवत: 2029 में हो सकता है। साथ ही, इसके लिए अधिक मतदान और सुरक्षा कर्मियों, ईवीएम के लिए अधिक भंडारण सुविधाएं, और अधिक वाहनों की भी आवश्यकता होगी।
इस समीक्षा के अलावा, एक साथ चुनाव को संविधान के पांच अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है, जिससे संविधानिक संरचना में नुकसान हो सकता है।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस विषय पर अपने विचार रखे हैं, जहां आप ने एक साथ चुनाव का समर्थन करते हुए संविधानिक ढांचे को होने वाले नुकसान की चेतावनी दी है।